
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र ग्रह हैं तथा बुध, चन्द्रमा को अपना शत्रु मानता है. बुध शनि, मँगल व गुरु से सम सम्बन्ध रखता है. बुध मिथुन व कन्या राशि का स्वामी है. बुध कन्या राशि में 15 अंश से 20 अंश के मध्य होने पर अपनी मूलत्रिकोण राशि में होता है. बुध कन्या राशि में 15 अंश पर उच्च स्थान प्राप्त करता है. बुध मीन राशि में होने पर नीच राशि में होता है. बुध को पुरुष व नपुंसक ग्रह माना गया है तथा यह उत्तर दिशा का स्वामी हैं. बुध का शुभ रत्न पन्ना है , बुध तीन नक्षत्रों का स्वामी है अश्लेषा, ज्येष्ठ, और रेवती (नक्षत्र) इसका प्रिय रंग हरे रंग, पीतल धातु,और रत्नों में पन्ना है ।
बुध से प्रभावित जातक हंसमुख, कल्पनाशील, काव्य, संगीत और खेल में रुचि रखने वाले, शिक्षित, लेखन प्रतिभावान, गणितज्ञ, वाणिज्य में पटु और व्यापारी होते हैं। वे बहुत बोलने वाले और अच्छे वक्ता होते हंै। वे हास्य, काव्य और व्यंग्य प्रेमी भी होते हैं। इन्हीं प्रतिभाओं के कारण वे अच्छे सेल्समैन और मार्केटिंग में सफल होते हैं। इसी कारण वे अच्छे अध्यापक और सभी के प्रिय भी होते हैं और सभी से सम्मान पाते हैं। बुध बहुत संुदर हैं। इसलिए उन्हें आकाशीय ग्रहों मंे राजकुमार की उपाधि प्राप्त है। उनका शरीर अति सुंदर और छरहरा है। वह ऊंचे कद गोरे रंग के हैं। उनके सुंदर बाल आकर्षक हैं वह मधुरभाषी हैं। बुध, बुद्धि, वाणी, अभिव्यक्ति, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क, यांत्रिकी ज्योतिष, लेखाकार, आयुर्वेदिक ज्ञान, लेखन, प्रकाशन, नृत्य-नाटक, और निजी व्यवसाय का कारक है। बुध मामा और मातृकुल के संबंधियों का भी कारक है।
बुध बुद्धि का परिचायक भी है अगर यह दूषित चंद्रमा के प्रभाव में आ जाता है तो स्त्री को आत्मघाती कदम की तरफ भी ले जा सकता है।
बुध ग्रह मिथुन तथा कन्या राशी का स्वामी हैं तथा इन दोनों राशियों पर ही इस ग्रह का शुभ एवं अशुभ प्रभाव पड़ता हैं. बुध मिथुन व कन्या राशी का स्वामी हैं इसलिए इन राशियों के व्यक्ति में कुछ विशेष गुण होते हैं जिनकी जानकारी नीचे दी गई हैं| बुध सौरमंडल का सबसे छोटा और सूर्य के सबसे निकट स्थित ग्रह है। यह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है। यह कन्या राशि में उच्च एवं मीन राशि में नीच का होता है।
बुध एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के सानिध्य में ही रहता है। जब कोई ग्रह सूर्य के साथ होता है तो उसे अस्त माना जाता है।
यदि बुध भी 14 डिग्री या उससे कम में सूर्य के साथ हो, तो उसे अस्त माना जाता है। लेकिन सूर्य के साथ रहने पर बुध ग्रह को अस्त का दोष नहीं लगता और अस्त होने से परिणामों में भी बहुत अधिक अंतर नहीं देखा गया है। बुध ग्रह कालपुरुष की कुंडली में तृतीय और छठे भाव का प्रतिनिधित्व करता है। बुध की कुशलता को निखारने के लिए की गयी कोशिश, छठे भाव द्वारा दिखाई देती है। जब-जब बुध का संबंध शुक्र, चंद्रमा और दशम भाव से बनता है और लग्न से दशम भाव का संबंध हो, तो व्यक्ति कला-कौशल को अपने जीवन-यापन का साधन बनाता है। जब-जब तृतीय भाव से बुध, चंद्रमा, शुक्र का संबंध बनता है तो व्यक्ति गायन क्षेत्र में कुशल होता है। अगर यह संबंध दशम और लग्न से भी बने तो इस कला को अपने जीवन का साधन बनाता है। इसी तरह यदि बुध का संबंध शनि केतु से बने और दशम लग्न प्रभावित करे, तो तकनीकी की तरफ व्यक्ति की रुचि बनती है।
बुध ग्रह के शुभ प्रभाव :---
जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की दशा शांत और प्रभावी होती हैं. वह वाक् कला अर्थात बोलने में या किसी भी प्रकार का भाषण देने में निपूर्ण होता हैं |
बुध ग्रह विद्या व तेज बुद्धि का सूचक होता हैं. इसलिए बुध ग्रह के मिथुन और कन्या राशी के व्यक्ति का दिमाग अधिक तेज होता हैं तथा वो पढाई में भी अच्छे होते हैं |
बुध ग्रह व्यापर और स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता हैं. इसलिए इस ग्रह की दोनों राशियों के व्यक्ति व्यापर करने में कुशल होते हैं तथा उनका स्वास्थ्य भी अधिकतर ठीक रहता हैं.
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क्या होता जब बुध ग्रह खराब असर देने लगता है ??
यदि आप पर बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव पड़ रहा है तो आपको व्यापार, दलाली, नौकरी आदि कार्यों में नुकसान उठाना पड़ेगा। बुध ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति को व्यापर, नौकरी या व्यवसाय में भी हानि हो सकती हैं |
आपकी सूंघने की शक्ति कमजोर हो जाएगी।बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति की सूंघने की शक्ति कमजोर हो जाती हैं.
समय पूर्व ही दांत खराब हो जाएंगे।कुंडली में बुध ग्रह की दशा के खराब होने पर व्यक्ति को दांतों से सम्बंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. बुध ग्रह की दशा खराब होने पर व्यक्ति के दांत कमजोर हो जाते हैं और उन्हें दांतों में दर्द होने की भी शिकायत हो जाती हैं.
आपके मित्रों से संबंध बिगड़ जाएंगे।
संभोग की शक्ति क्षीण हो जाएगी।
इसके अलावा यदि आप तुतले बोलते हैं तो भी बुध ग्रह अशुभ माना जाएगा। बुध ग्रह के अशांत होने पर मिथुन और कन्या राशी के व्यक्तियों की वाक् कला अर्थात बोलने की क्षमता कम हो जाती हैं | व्यक्ति खुद ही अपने हाथों से बुध ग्रह को खराब कर लेता है, जैसे यदि आपने अपनी बहन, बुआ और मौसी से संबंध बिगाड़ लिए हैं तो बुध ग्रह विपरीत प्रभाव देने लगेगा। यदि आपकी बहन, बुआ और मौसी किसी विपत्ति में है, तो भी आपका बुध ग्रह अशुभ प्रभाव वाला माना जाएगा।
कुंडली में यदि बुध ग्रह केतु और मंगल के साथ बैठा है तो यह मंदा फल देना शुरू कर देता है।
शत्रु ग्रहों से ग्रसित बुध का फल मंदा ही रहता है।
ऐसे में यह उपरोक्त सभी तरह के संकट खड़े कर देता है।
आठवें भाव में बुध ग्रह शनि और चंद्र के साथ बैठा है तो पागलखाना, जेलखाना या दवाखाना किसी भी एक की यात्रा करा देता है।
जब कुंडली मै बुध और मंगल दोनों नीच राशि मे होते तो जातक कर्ज की स्थिति मे आ जाता है, जो जीवन भर नही उतर पाता ।
बुध ख़राब होने पर स्किन (त्वचा) के रोग हो जाते हैं|
यदि किसी भी स्त्री का बुध शुभ प्रभाव में होता है वे अपनी वाणी के द्वारा जीवन की सभी ऊँचाइयों को छूती हैं, अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान् और चतुर और एक अच्छी सलाहकार साबित होती हंै। व्यापार में भी अग्रणी तथा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी समस्याओं का हल निकाल लेती हैं।
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क्या उपाय या प्रयास करे की बुध ठीक हो ??
यदि कुंडली में बुध ग्रह नीच का या शत्रु ग्रहों के साथ बैठा है तो आपको मां दुर्गा की भक्ति करना चाहिए।
बेटी, बहन, बुआ और साली से अच्छे संबंध रखने चाहिए।
हिजड़ो याने व्रहन्नल्ला की सेवा करें।
झूठ बोलते रहने से बुध अपना बुरा असर जारी रखता है इसलिए सच बोलने का अभ्यास करें।
घर की तुलसी की सेवा रोज करे,ध्यान रखे की तुलसी कभी सूखने नही पाये।
बड़े पत्ते वाले वृक्ष की सेवा करे,जैसे बरगद आदि ।
बुध ग्रह की शक्ति के लिए प्रत्येक बुधवार और अमावस्या को व्रत करना चाहिए तथा पन्ना धारण करना चाहिए।
बुध ग्रह की दशा खराब होने पर व्यक्ति को गौ सेवा करनी चाहिए.
बुध ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए अपने खाने में से तीन भाग निकाल दें. अब एक हिस्सा गाय को खिलायें. दूसरा हिस्सा कौवें को खिलायें तथा तीसरा हिस्सा कुत्ते को खिलायें.
बुध ग्रह की शांति के लिए आप गाय को हरा चारा, हरी घास तथा हरा साग खिला सकते हैं.
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए तथा आप इसका दान भी दे सकते हैं.
बुध ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति को छोटी – छोटी बालिकाओं को भोजन करना चाहिए.
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को किन्नरों को हरी साड़ी तथा सुहाग की सारी सामग्री दान करनी चाहिए.
ब्राह्मण को हाथी दांत, हरा वस्त्र, मूंगा, पन्ना, स्वर्ण, कपूर, शस्त्र, खट्टे फल तथा घृत दान करने चाहिए।
नवग्रह मंडल में इनकी पूजा ईशान कोण में की जाती है। इनका प्रतीक बाण तथा रंग हरा है।
जिन लोगों की कुंडली में बुध अशुभ फल दे रहा है, वे इस दिन साबूत मूंग न खाएं और इसका दान करें।
मंगलवार की रात को हरे मूंग भिगोकर रखें और बुधवार की सुबह यह मूंग गाय को खिलाएं।
हरे मूंग (साबुत), हरी पत्तेदार सब्जी का सेवन और दान, हरे वस्त्र को धारण और दान देना उपुयक्त है।
तांबे के गिलास में जल पीना चाहिए।
अगर कुंडली न हो और मानसिक अवसाद ज्यादा रहता हो तो सफेद और हरे रंग के धागे को आपस में मिला कर अपनी कलाई में बाँध लेना चाहिए।
अगर बुध ग्रह की अंतर्दशा चल रही हैं तो आपको गणेशअथार्विशीर्ष का पाठ करना चाहिए |
याददाश्त (मेमोरी) कम हो जायें इसके लिए हरी मिर्च,आंवला, हरी सब्जियों का खूब सेवन करें |
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति कनिष्ठा उंगली में पन्ना या ओनेक्स की अंगूठी धारण कर सकते हैं.
इसके अलावा बुध ग्रह के कमजोर होंने पर व्यक्ति को रोजाना माँ दुर्गा की अराधना करनी चाहिए तथा दुर्गा सप्तशती और दुर्गा सप्तश्लोक के मन्त्रों का जाप कर सकते हैं|
गणेशअथर्वशीर्ष का पाठ करे |
पन्ना धारण करे या हरे वस्त्र धारण करे यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रक्खे |
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बुध के उपरोक्त मन्त्र का जाप करने से भी बुध ग्रह की शान्ति मिलेगी---
बुध मंत्र - इनके जप का बीज मंत्र 'ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः' तथा सामान्य मंत्र 'बुं बुधाय नमः' है। बुध मंत्र का जाप 14 बार किया जाता है।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम। सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम।।
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय् नम: ।
ॐ त्रैलोक्य मोहनाय विद्महे स्मरजन काय धीमहि तन्नो विणु: प्रचोदयात्।
जब भी आपका कोई कार्य नही होता तब आप किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करे, जिनका जन्म बुधवार को हुआ, और जिनकी राशि मिथुन या कन्या हो, उससे काम करवाये सफलता अवश्य मिलती है ।