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माँ बगलामुखी के इस मन्त्र से शत्रु, भूत-प्रेत, जेल, मुकदमा या हो धन की समस्या, हर बाधा होगी दूर

हर समस्या का समाधान हैं इस बीज मंत्र में

शत्रुओं पर विजय प्राति, शत्रु भय से मुक्ति तथा प्रभावशाली वाक-शक्ति की प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की साधना की जाती है।देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या है। माता बगलामुखी की उपासना से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाते है , रोगों की पुरानी समस्याओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करते है और संरक्षण देते है। ऐसा कहा जाता है की बगलामुखी मंत्र के नियमित जप से अहंकार नष्ट होता है और शत्रुओं का नाश होता है।
From-this-Mantra-of-Baglamukhi-Mantra-ghost-prison-lawsuit-or-money-problem-every-obstacle-will-be-overcome    ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि माँ बगलामुखी की इस साधना में एक विशेष संख्या में बगलामुखी मंत्र के जाप का विधान है। सामान्य शत्रु बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र का कम से कम 10 हजार बार जाप करना करना चाहिए, लेकिन अगर कोई बहुत बड़ी शत्रु बाधा हो या शत्रुता में जीवन-मरण का प्रश्न हो तो ऐसे में कम से कम 1 लाख बार इस मंत्र का जाप करने वाला कभी भी शत्रु से हारता नहीं। ऐसे व्यक्ति को हर प्रकार के वाद-विवाद में विजय मिलती है और वह अपनी बातों को सही सिद्ध कर पाता है। कई जगहों पर मां बगलामुखी के सर्व कामना पूर्ति बीज मंत्र को अशुद्ध रूप से लिखा पाया जाता है, और अगर कोई अशुद्ध मंत्र का उच्चारण या जप करता है तो उसे कोई बड़ी हानि भी हो सकती है । मंत्र के जानकार कहते है कि वहीं यदि इस मन्त्र का सही उच्चारण किया जाय तो मां बगलामुखी का यह बीज मंत्र साधक की समस्त मनोकानाओं की पूर्ति कर सकता हैं । बगलामुखी माता के उक्त मंत्र का जप करें, जप से विधिवत माँ बगलामुखी का पूजन करें। एवं निश्चित संख्या में जप पूरा होने के बाद गाय के शुद्ध घी से 251 बार हवन करें। हवन में आम, पलाश, गुलर आदि का समिधाओं का उपयोग करें।

बगलामुखी मंत्र के लिए कुल जप संख्या--
1,25000 बार

बगलामुखी मंत्र जप का श्रेष्ठ समय या मुहूर्त---
शुक्ल पक्ष, चन्द्रावली, शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, रात्रि समय

इस मंत्र के शुद्ध और भावपूर्ण उच्चारण से शत्रु को शांत किया जा सकता है, मुकदमा भी जीत सकते है, आधिदैविक और आधिभौतिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है, बंधनों से मुक्ति मिल सकती है, जेसै कोई बेकसूर व्यक्ति जेल में है या जेल जाने के आसार हैं तो इस मंत्र की साधना से 100% बच सकता हैं । भूत प्रेत और जादू टोन की बाधा से रक्षा होती है, सारे डर खत्म हो जाते है । धन संबंधित समस्या दूर हो जाती हैं । इस साधना से कोई भी अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बना सकता है ।

शुद्ध बगलामुखी बीज मंत्र---

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय ।
जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।।

बगलामुखी मन्त्र के प्रारंभ में ह्री या ह्लीं दोनों में से किसी भी बीज का प्रयोग किया जा सकता है, ह्रीं तब लगायें जब आपका धन किसी शत्रु ने हड़प लिया है और ह्लीं का प्रयोग शत्रु को पूरी तरह से परास्त करने के लिए ही करें । इससे शत्रु को वश में करने की अद्भुत शक्ति मिलती है, लेकिन यह सब एक दो दिन में नहीं होगा बल्कि इसके लिए संकल्प लेकर कम से कम 40 दिन का विशेष अनुष्ठान करने का नियम हैं । बिना नियमों की जानकारी इस साधना को नहीं करना चाहिए । अन्यथा समस्या से छूटकारा नहीं सकेगा । माँ बगलामुखी अपने भक्त से श्रद्धा और विशवास चाहती हैं, यदि आपको पूरी श्रद्धा है और नियमों के साथ साधना करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी ।नलखेड़ा, मध्यप्रदेश स्थित विश्वप्रसिद्ध मां बगलामुखी मन्दिर, जो महाभारत कालीन एवम पांडवों द्वारा स्थापित हैं, में यह अनुष्ठान सम्पन्न करवाने हेतु पंडित दयानन्द शास्त्री जी से सम्पर्क कर सकते हैं।

ऐसे करे शत्रु को परास्त---

अगर कोई शत्रु अत्यंत शक्तिशाली हो तो ऐसी अवस्था में यदि मां बगलामुखी के इस मन्त्र को नीचे लिखे अनुसार शुद्धता पूर्वक उच्चारण कर जप किया जाए तो शत्रु से तुरंत सुरक्षा मिलती है ।

ॐ ह्लीं बगलामुखी अमुक (शत्रु का नाम लें ) दुष्टानाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय स्तम्भय ।
जिव्हां कीलय कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ।।

इस मन्त्र में अमुक शब्द के स्थान पर शत्रु का नाम लेकर कम से कम 11 सौ बार एक दिन में जप करें, ऐसा करने से मां बगुलामुखी साधक की रक्षा करेंगी एवं साधक का शत्रु या तो किसी मुसीबत में फंस जाएगा या फिर कोई भारी गलती करके स्वयं ही फंस जाएगा ।

सम्पुट युक्त बगलामुखी मन्त्र--

सम्पुट मन्त्र की शक्ति को दोगुना करने के लिए किया जाता है, किसी भी मन्त्र की शक्ति को सम्पुट द्वारा बढ़ने के लिए साधक को पहले बिना सम्पुट से निश्चित संख्या में जप करना चाहिए, उसके बाद ही सम्पुट लगाया जा सकता है । मन्त्र के आदि में और अंत में बीज लगाने से मन्त्र सम्पुट युक्त हो जाता है ।

यह होते हैं बगलामुखी मंत्र के लाभ---
ऐसा माना जाता है की बगलामुखी मंत्र में चमत्कारी शक्तियां है।पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार माँ बगलामुखी मंत्र शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। प्रशासन और प्रबंधन के लोगों को , नेताओं को , ऋण या मुकदमे की समस्याओं का सामना कर रहे लोगो को बगलामुखी मंत्र का विशेष सुझाव दिया जाता है। बगलामुखी मंत्र का उपयोग व्यापार में क्षति का सामना कर रहे व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है , जैसे वित्तीय समस्याएं , झूठी अदालत के मामले , निराधार आरोप , ऋण की समस्याएं , व्यापार में बाधाएं आदि। प्रतियोगी परीक्षाओं और वाद-विवाद आदि में भाग लेने वाले लोगों के लिए भी बगलामुखी मंत्र प्रभावी है। बगलामुखी मंत्र अनिष्ट आत्माओं और अशुभ दृष्टि से सुरक्षित रहने में सहयोग करता है।नलखेड़ा, मध्यप्रदेश स्थित विश्वप्रसिद्ध मां बगलामुखी मन्दिर, जो महाभारत कालीन एवम पांडवों द्वारा स्थापित हैं, में यह अनुष्ठान सम्पन्न करवाने हेतु पंडित दयानन्द शास्त्री जी से सम्पर्क कर सकते हैं।

बगलामुखी जयंती आज, ऐसे करे माँ बगलामुखी को प्रसन्न

आज माता बगलामुखी व्रत 3 मई 2017 को है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है. तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले बगलामुखी माता को प्रसंन करना जरूरी है बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है || 
baglamukhi-jayanti-3-may-2017-बगलामुखी जयंती बुधवार 03 मई 2017 को         धार्मिक मान्यताओ के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को माँ बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है। जिस कारण इस तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है । इस वर्ष (बुधवार) 3 मई 2017 को बगलामुखी जयंती है । साधक को इस दिन माँ बगलामुखी की निमित्त पूजा-अर्चना एवम व्रत करना चाहिए। माता बगलामुखी की कृपा से शत्रु का नाश होता है एवम साधक के जीवन से हर प्रकार की बाधा दूर होती है। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख विद्या है और इन्हे शक्ति का स्वरुप मन जाता है क्योकि जब भगवन विष्णु ने महा त्रिपुरसुन्दरी की आराधना की तब जाकर माता बगलामुखी देवी का उद्भव हुआ |  
 जानिए माता बगलामुखी का माहात्म्य- 
 सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है। बगलामुखी देवी ही समस्त प्रकार से ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। मान्यता है कि तीनों लोकों की महान शक्ति जैसे आकर्षण शक्ति वाक् शक्ति और स्तंभन शक्ति का आशीष देने का सामर्थ्य सिर्फ माता के पास ही है देवी के भक्त अपने शत्रुओं को ही नहीं बल्कि तीनों लोकों को वश करने में समर्थ होते हैं विशेषकर झूठे अभियोग प्रकरणों में अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने के लिए देवी की आराधना उत्तम मानी जाती हैं।
 काली तारा महाविद्या षोडसी भुवनेश्वरी। 
बाग्ला छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।। 
मातंगी त्रिपुरा चैव विद्या च कमलात्मिका। 
एता दश महाविद्या सिद्धिदा प्रकीर्तिता।। 
      मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। बगलामुखी देवी ही समस्त प्रकार से ऋद्धि तथा सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। तीनों लोकों की महान शक्ति जैसे आकर्षण शक्ति, वाक् शक्ति, और स्तंभन शक्ति का आशीष देने का सामर्थय सिर्फ माता के पास ही है देवी के भक्त अपने शत्रुओं को ही नहीं बल्कि तीनों लोकों को वश करने में समर्थ होते हैं, विशेषकर झूठे अभियोग प्रकरणों में अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने हेतु देवी की आराधना उत्तम मानी जाती हैं।
          3 मई 2017 को विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में माता बगलामुखी जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। यह स्थान ( मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में नदी के किनारे स्थित है स्वयंभू प्रतिमा है । यह शमशान क्षेत्र में स्थित हैं। कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। 
       भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा में हैं। वैसाख माह को पवित्र और शुद्ध मास माना जाता है। इस माह में सारे शुभ काम किए जाते हैं। यह इस मास की विषेषता है कि शुक्ल पक्ष के द्वितीया को परशुराम जयंती, तृतीया को अक्षय तृतीया, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। चतुर्थी को गणेश चतुर्थी, पंचमी को आदि शंकराचार्य जयंती, षष्ठी को रामानुचार्य जयंती, सप्तमी को गंगा सप्तमी, अष्टमी को बगलामुखी जयंती, नवमी को जानकी जयंती, त्रयोदशी को नरसिंह जयंती और और पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती होती है। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना की जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए। बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
      इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है। मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। 
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विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में माता बगलामुखी जयंती समारोह 26 अप्रैल रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह स्थान ( मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में स्वयंभू प्रतिमा हैं 
शमशान क्षेत्र में स्थित हैं ..
कहा जाता हैं की इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी... देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। 
होगा महाभय का नाश….शत्रु मिटेंगे-मिलेगी सफलता….पुत्र,पत्नी, परिवार और संपत्ति की होगी सुरक्षा…. जीवन में हर ओर मिलेगी सफलता ही सफलता….आ गयी है शत्रु बाधा नाशक…… 
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क्या और क्यों “बगलामुखी जयंती”--- 
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार वैसाख माह को पवित्र और शुद्ध मास माना जाता है। इस माह में सारे शुभ काम किये जाते हैं। यह इस मास की विषेषता है कि शुक्ल पक्ष के द्वितीया को परशुराम जयंती, तृतीया को अक्षय तृतीया, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। चतुर्थी को गणेश चतुर्थी, पंचमी को आदि शंकराचार्य जयंती, षष्ठी को रामानुचार्य जयंती, सप्तमी को गंगा सप्तमी, अष्टमी को बगलामुखी जयंती, नवमी को जानकी जयंती, त्रयोदशी को नरसिंह जयंती और पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती होती है। 
      इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है. 
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जानिए कौन है बगलामुखी मां..???
   मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए |
         देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है |
         बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है. पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है। 
क्या करें बगलामुखी जयंती के दिन..??? 
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन साधक को माता बगलामुखी की निमित्त व्रत एवं उपवास करना चाहिए तथा देवी का पूजन करना चाहिए। देवी बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्त के शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों को रोक देती हैं। देवी बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है। इसका कारण है कि इनका रंग सोने के समान पीला है। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। 
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 माँ बगलामुखी का प्राचीन मंदिर- तांत्रिकों की देवी बगलामुखी—
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार माता बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं. इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं. ये स्तम्भन की देवी हैं. सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती. शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है. किसी छोटे कार्य के लिए 10000 तथा असाध्य से लगाने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए | 36 अक्षर का बगलामुखी महामंत्र इस प्रकार है- 

 "ॐ ल्ह्रिम बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिं विनाशय ल्ह्रिमॐ स्वाहा"

        यह सभी जप हल्दी की माला पर करना चाहिए और पूजा में पुष्प, नैवेद्य आदि भी पीले होने चाहिए.साधक पीले वस्त्र पहन कर पीले आसन पर बैठ कर मंत्र जाप करे. प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक है नलखेड़ा में। भारत में माँ बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। 
       तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधि‍ष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है।
        पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से पूजा-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यहाँ के अन्य पंडित गोपालजी पंडा, मनोहरलाल पंडा आदि ने बताया कि यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी। 
      इस मंदिर में बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित हैं। इसके आसपास सुंदर और हरा-भरा बगीचा देखते ही बनता है। नवरात्रि में यहाँ पर भक्तों का हुजूम लगा रहता है। मंदिर श्मशान क्षेत्र में होने के कारण वर्षभर यहाँ पर कम ही लोग आते हैं। कैसे पहुँचें:- वायु मार्ग: नलखेड़ा के बगलामुखी मंदिर स्थल के सबसे निकटतम इंदौर का एयरपोर्ट है। रेल मार्ग: ट्रेन द्वारा इंदौर से 30 किमी पर स्थित देवास या लगभग 60 किमी मक्सी पहुँचकर भी शाजापुर जिले के गाँव नलखेड़ा पहुँच सकते हैं। सड़क मार्ग: इंदौर से लगभग 165 किमी की दूरी पर स्थित नलखेड़ा पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं। 
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माता बगलामुखी आवाहन का आव्हान मंत्र-- 
 "ॐऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।" 
यह हें माँ बगलामुखी मंत्र —-
 श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
 त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
 श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। 
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। 
स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। 
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:। 
       इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए…. ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा। 
 अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार…..
 सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
 सामान्य बगलामुखी मंत्र —– 
 ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
   माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.
 जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—–
 ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम: इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-
  1.  . मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
  2.  . मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है। 
  3. . तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है। 
  4. . हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।

  1. भय नाशक मंत्र—–अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए… ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें… पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें… दक्षिण दिशा की और मुख रखें…. 
  2.  शत्रु नाशक मंत्र—- अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें…. मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये …. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें…. 
  3. जादू टोना नाशक मंत्र—- यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं…. कपूर से देवी की आरती करें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे…. 
  4.  प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र—– आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें…. ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं… देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें… रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें… 
  5.  बच्चों की रक्षा का मंत्र—- यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. . ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें… दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…. मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें… 
  6. लम्बी आयु का मंत्र—- यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए… ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा: पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें… मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये… प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें…. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…
  7.   बल प्रदाता मंत्र—- यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए… ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है… पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए… पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें… 
  8.  सुरक्षा कवच का मंत्र—- प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता …. ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें.. छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें… रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें… ये स्तम्भन की देवी भी हैं। 

      कहा जाता है कि सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रु नाश, वाक सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए देवी बगलामुखी की उपासना की जाती है। बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र —-
 ‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’ का जप, हल्दी की माला पर करना चाहिए। 
 केसे करें मां बगलामुखी पूजन…?? 
 माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें. इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.
 इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें- 
 साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें- 
 ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये। 
      इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें-
 गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया। 
 देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।। 
 धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता। 
 गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।। 
       इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें- नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्। भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।। आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें-
  1.  गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं। 
  2.  पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं।  
  3. धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं। 
  4. दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं। 
  5. नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। 

  मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। अब इस प्रकार प्रार्थना करें-
 जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्।
 गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।। 
 अब क्षमा प्रार्थना करें- 
 आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।। मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।

     अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें-
  1.  गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।। 
  2. अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।। 
  3. अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ 
  4.  नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ: 
  5.  एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा। ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्। 
  6.  षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा। अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें। 

 जानिए माँ बगलामुखी की कथा—- 
 देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए. इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं.
     भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ. उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं.
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 माँ बगाल्मुखी साधना इन बातों का रखें विशेष ध्यान/सावधानियां—
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार बगलामुखी आराधना में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। साधना में पीत वस्त्र धारण करना चाहिए एवं पीत वस्त्र का ही आसन लेना चाहिए। आराधना में पूजा की सभी वस्तुएं पीले रंग की होनी चाहिए। आराधना खुले आकश के नीचे नहीं करनी चाहिए। आराधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा साधना क्रम में स्त्री स्पर्श, चर्चा और संसर्ग कतई नहीं करना चाहिए। साधना डरपोक किस्म के लोगों को नहीं करनी चाहिए। 
        बगलामुखी देवी अपने साधक की परीक्षा भी लेती हैं। साधना काल में भयानक अवाजें या आभास हो सकते हैं, इससे धबराना नहीं चाहिए और अपनी साधना जारी रखनी चाहिए। साधना गुरु की आज्ञा लेकर ही करनी चाहिए और शुरू करने से पहले गुरु का ध्यान और पूजन अवश्य करना चाहिए। बगलामुखी के भैरव मृत्युंजय हैं, इसलिए साधना के पूर्व महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जप अवश्य करना चाहिए। साधना उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए। मंत्र का जप हल्दी की माला से करना चाहिए। जप के पश्चात् माला अपने गले में धारण करें। साधना रात्रि में 9 बजे से 12 बजे के बीच प्रारंभ करनी चाहिए। मंत्र के जप की संखया निर्धारित होनी चाहिए और रोज उसी संखया से जप करना चाहिए। यह संखया साधक को स्वयं तय करना चाहिए। साधना गुप्त रूप से होनी चाहिए। साधना काल में दीप अवश्य जलाया जाना चाहिए। जो जातक इस बगलामुखी साधना को पूर्ण कर लेता है, वह अजेय हो जाता है, उसके शत्रु उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।
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अगर आप बगलामुखी पूजा करवाना चाहते है तो हमसे संपर्क करे हम आपके लिए ये पूजा आपके नाम जन्म तिथि और गोत्र को लेकर संपन्न करेंगे इसके बाद प्रसाद आपके घर पर भिजवाएंगे | और यदि आप हमसे माता बगलामुखी की पूजा सम्बन्धी अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करे इस नंबर पर 9039390067.... =================================================================== 
जानिए माता बगलामुखी पूजा के फायदे :--- 
 माता बगलामुखी की पूजा से शत्रुओ का नाश होता है, किसी भी विप्पति या आपदा में मदद मिलती है, कोर्ट कचेहरी मामलो में विजय प्राप्त होती है, आपके आस पास की सारी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है| किसी ही भूत प्रेत की बाधा को आपसे दूर रखती है, माता बगलामुखी की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है | 
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जानिए कैसे पाए माता बगलामुखी का आशीर्वाद ? 
 अगर आप माता बगलामुखी की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते है तो आप निम्न चीज़ो से माता बगलामुखी की पूजा कर सकते है : हल्दी माला, बगलामुखी यन्त्र, बगलामुखी लॉकेट, माता बगलामुखी फोटो और अन्य पूजा सामग्रियां |

"माँ बगलामुखी जयंती",इस वर्ष 14 मई 2016 को मनाई जायेगी

माँ बगलामुखी रोग शोक और शत्रु को समूल नष्ट कर देती है,जो हमारा अनिष्ट चाहते है उनका अनिष्ट करती है,प्रबल से प्रबल शत्रु भी इनके साधक और उपासको के आगे पानी भरते हैं,और कोई इनके उपासको का बाल भी बंका नही कर सकता है।। माँ बगलामुखी १० महाविद्याओं में आठवां स्वरुप हैं। ये महाविद्यायें भोग और मोक्ष दोनों को देने वाली हैं। सांख़यायन तन्त्र के अनुसार बगलामुखी को सिद्घ विद्या कहा गया है। तन्त्र शास्त्र में इसे ब्रह्मास्त्र, स्तंभिनी विद्या, मंत्र संजीवनी विद्या तथा प्राणी प्रज्ञापहारका एवं षट्कर्माधार विद्या के नाम से भी अभिहित किया गया है। 
           सांख़यायन तंत्र के अनुसार ‘कलौ जागर्ति पीतांबरा।’ अर्थात कलियुग के तमाम संकटों के निराकरण में भगवती पीता बरा की साधना उत्तम मानी गई है। अतः आधि व्याधि से त्रस्त वर्तमान समय में मानव मात्र माँ पीतांबरा की साधना कर अत्यन्त विस्मयोत्पादक अलौकिक सिद्घियों को अर्जित कर अपनी समस्त अभिलाषाओं को प्राप्त कर सकता है। बगलामुखी की साधना से साधक भयरहित हो जाता है और शत्रु से उसकी रक्षा होती है। बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक, शत्रुविनाशक एवं स्तंभनात्मक है। यजुर्वेद के पंचम अध्याय में ‘रक्षोघ्न सूक्त’ में इसका वर्णन है। इसका आविर्भाव प्रथम युग में बताया गया है। 
          कलियुग में माँ बगलामुखी की साधना उपासना तुरंत फलदायी होती है तथा यह विजय की देवी हैं इनके भक्त कभी पराजय का मुंह नही देखते,देश के जाने माने अधिकांश राजनेता और राजनीती करने वाले व्यक्ति इनके उपासक है, जो अपनी चुनाव विजय तथा शत्रुओ के पराभव के लिए गुप्त रूप से इनके तांत्रिक अनुष्ठान हवन पूजन आदि कराते हैं।। इनके हवन में पिसी हुई शुद्ध हल्दी,मालकांगनी, काले तिल,गूगल,पीली हरताल,पीली सरसो, नीम का तेल, सरसो का तेल,बेर की लकड़ी,सूखी साबुत लाल मिर्च आदि भिन्न 2 सामग्रियों का उपयोग भिन्न 2 कामनाओ के लिए किया जाता है।। तांत्रिक पद्धति से किया गया माँ बगलामुखी का पूजन त्वरित और तीव्र परिणाम देता है जब शत्रु भारी पड रहे हो,पानी सर के ऊपर से गुज़र रहा हो ,मुक़दमे पीछे न छोड़ रहे हो,मेहनत करने के बाद भी व्यापर ठप हो रहा हो,कोई मार्ग नही सूझ रहा हो,उच्चाधिकारी परेशान कर रहे हो उत्पीड़न कर रहे हो,ऐसे विकट समय में व्यक्ति को माँ बगलामुखी(ब्रह्मास्त्र विद्या) का एक बार आश्रय लेकर इनकी शक्ति का प्रमाण और परिणाम अवश्य देखना चाहिए! 
            इस वर्ष 14 मई 2016 को माँ बगलामुखी जयंती है जोकि अपने आप में इनके पूजन हवन अनुष्ठान आदि कार्यो के लिए स्वयं सिद्ध मुहूर्त है, आप भी माँ बगलामुखी की साधना पूजा हवन अर्चना करके माँ की कृपा प्राप्त करे और अपने गुप्त प्रत्यक्ष सूक्ष्म स्थूल समस्त दरिद्रत आदि शत्रुओ पर विजय प्राप्त करके माँ की शक्ति का अनुभव करे।।
आइये जाने की केसे मनाएं “बगलामुखी जयंती”..??? केसे करें माँ बगलामुखी साधना..??? क्या सावधानियां एवं उपाय और मन्त्र जाप किये जाएँ..?? 
maa-bagla-mukhi-jyanti-this-year-will-be-celebrated-on-May-14-2016-"माँ बगलामुखी जयंती",इस वर्ष 14 मई 2016 को मनाई जायेगी देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। होगा महाभय का नाश….शत्रु मिटेंगे-मिलेगी सफलता….पुत्र,पत्नी, परिवार और संपत्ति की होगी सुरक्षा…. जीवन में हर ओर मिलेगी सफलता ही सफलता….आ गयी है शत्रु बाधा नाशक…… “बगलामुखी जयंती” वैसाख माह को पवित्र और शुद्ध मास माना जाता है। इस माह में सारे शुभ काम किये जाते हैं। यह इस मास की विशेषता है कि शुक्ल पक्ष के द्वितीया को परशुराम जयंती, तृतीया को अक्षय तृतीया, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। चतुर्थी को गणेश चतुर्थी, पंचमी को आदि शंकराचार्य जयंती, षष्ठी को रामानुचार्य जयंती, सप्तमी को गंगा सप्तमी, अष्टमी को बगलामुखी जयंती, नवमी को जानकी जयंती, त्रयोदशी को नरसिंह जयंती और पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती होती है। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है।। 
 **** जानिए कौन है बगलामुखी मां..??? 
 मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।। 
          देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है. बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है।। पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया और नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है। 
 ****जानिए क्या करें " माँ बगलामुखी जयंती" के दिन..??? 
 इस दिन साधक को माता बगलामुखी की निमित्त व्रत एवं उपवास करना चाहिए तथा देवी का पूजन करना चाहिए। देवी बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्त के शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों को रोक देती हैं। देवी बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है। इसका कारण है कि इनका रंग सोने के समान पीला है। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। 
यह हें माँ बगलामुखी मंत्र —
- श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। 
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। 
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। 
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:। 

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए…. 
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा। 

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार….. 
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
 **** सामान्य बगलामुखी मंत्र —– 
 "ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा"। माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।।
 **** जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—–
 "ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:" इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —- 
1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है। 
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है। 
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है। 
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।
 1) भय नाशक मंत्र—– अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए… 
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन 
पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें… पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें… दक्षिण दिशा की और मुख रखें…. 
2) शत्रु नाशक मंत्र—- अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. 
ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु 
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें…. मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये …. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें…. 
3) जादू टोना नाशक मंत्र—- यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. 
ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय 
आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं…. कपूर से देवी की आरती करें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे…. 
4) प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र—– आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें…. 
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: 
बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं… देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें… रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें… 
5) बच्चों की रक्षा का मंत्र—- यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. . 
ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष 
देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें… दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…. मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें… 
6) लम्बी आयु का मंत्र—- यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए… 
ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा: 
पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें… मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये… प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें…. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें… 
7) बल प्रदाता मंत्र—- यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए… 
ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ 
पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है… पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए… पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें… 
8) सुरक्षा कवच का मंत्र—- प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता …. 
ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम 
देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें.. छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें… रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें… ये स्तम्भन की देवी भी हैं। कहा जाता है कि सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रु नाश, वाक सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए देवी बगलामुखी की उपासना की जाती है।

बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र —- 
‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’ 
का जप, हल्दी की माला पर करना चाहिए। 
 **** जानिए केसे करें मां बगलामुखी पूजन…?? 
 माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें।। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। 
         आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें।। 
 ****इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें- 
 साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें-
 ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये।
 इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें- 
गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया। देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।। 
धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता। गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।। 

       इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें- 
नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्। भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।। 
 आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें- 
गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं। 
पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं। 
धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं। 
दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं। 
नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। 
अब इस प्रकार प्रार्थना करें- 
जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्। 
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।। 
 अब क्षमा प्रार्थना करें- 
 आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।। 
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।। 
 अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें- 
गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।। 
अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।। 
अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा 
त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ 
नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ: 
एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा। ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्। 
षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा। अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें। 
 **** जानिए माँ बगलामुखी की कथा— 
 देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।। इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं।।
        भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ।। उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।।
 **** " माँ बगलामुखी साधना" इन बातों का रखें विशेष ध्यान/सावधानियां— 
 बगलामुखी आराधना में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। साधना में पीत वस्त्र धारण करना चाहिए एवं पीत वस्त्र का ही आसन लेना चाहिए। आराधना में पूजा की सभी वस्तुएं पीले रंग की होनी चाहिए। आराधना खुले आकश के नीचे नहीं करनी चाहिए। आराधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा साधना क्रम में स्त्री स्पर्श, चर्चा और संसर्ग कतई नहीं करना चाहिए। साधना डरपोक किस्म के लोगों को नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी देवी अपने साधक की परीक्षा भी लेती हैं। साधना काल में भयानक अवाजें या आभास हो सकते हैं, इससे धबराना नहीं चाहिए और अपनी साधना जारी रखनी चाहिए। 
          साधना गुरु की आज्ञा लेकर ही करनी चाहिए और शुरू करने से पहले गुरु का ध्यान और पूजन अवश्य करना चाहिए। बगलामुखी के भैरव मृत्युंजय हैं, इसलिए साधना के पूर्व महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जप अवश्य करना चाहिए। साधना उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए। मंत्र का जप हल्दी की माला से करना चाहिए। जप के पश्चात् माला अपने गले में धारण करें। साधना रात्रि में 9 बजे से 12 बजे के बीच प्रारंभ करनी चाहिए। मंत्र के जप की संखया निर्धारित होनी चाहिए और रोज उसी संखया से जप करना चाहिए। यह संखया साधक को स्वयं तय करना चाहिए। साधना गुप्त रूप से होनी चाहिए। साधना काल में दीप अवश्य जलाया जाना चाहिए। जो जातक इस बगलामुखी साधना को पूर्ण कर लेता है, वह अजेय हो जाता है, उसके शत्रु उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।

बगलामुखी जयंती- पूजा से मिलेंगी चमत्कारी शक्तियां

आइये जाने की केसे मनाएं “बगलामुखी जयंती”..???
केसे करें माँ बगलामुखी साधना..??? क्या सावधानियां एवं उपाय और मन्त्र जाप किये जाएँ..??
 बगलामुखी जयंती- पूजा से मिलेंगी चमत्कारी शक्तियां इस वर्ष 26 अप्रैल,2015 (रविवार) को मां बगलामुखी जयंती है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में मा
ता बगलामुखी जयंती समारोह 26 अप्रैल रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह स्थान ( मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में स्वयंभू प्रतिमा हैं शमशान क्षेत्र में स्थित हैं ..कहा जाता हैं की इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी...


          देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल अष्टमी को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है। होगा महाभय का नाश….
      शत्रु मिटेंगे-मिलेगी सफलता….पुत्र,पत्नी, परिवार और संपत्ति की होगी सुरक्षा…. जीवन में हर ओर मिलेगी सफलता ही सफलता….आ गयी है शत्रु बाधा नाशक…… 
     क्या और क्यों “बगलामुखी जयंती”--- पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार वैसाख माह को पवित्र और शुद्ध मास माना जाता है। इस माह में सारे शुभ काम किये जाते हैं। यह इस मास की विषेषता है कि शुक्ल पक्ष के द्वितीया को परशुराम जयंती, तृतीया को अक्षय तृतीया, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। चतुर्थी को गणेश चतुर्थी, पंचमी को आदि शंकराचार्य जयंती, षष्ठी को रामानुचार्य जयंती, सप्तमी को गंगा सप्तमी, अष्टमी को बगलामुखी जयंती, नवमी को जानकी जयंती, त्रयोदशी को नरसिंह जयंती और पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती होती है। 
   इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है.
     कौन है बगलामुखी मां..???
       मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। 
          माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए. देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है. 
          बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है. पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। 
         इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है। क्या करें बगलामुखी जयंती के दिन..??? पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन साधक को माता बगलामुखी की निमित्त व्रत एवं उपवास करना चाहिए तथा देवी का पूजन करना चाहिए। देवी बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्त के शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों को रोक देती हैं। 
       देवी बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है। इसका कारण है कि इनका रंग सोने के समान पीला है। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
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माँ बगलामुखी का प्राचीन मंदिर- 
तांत्रिकों की देवी बगलामुखी— पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार माता बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं. इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं. ये स्तम्भन की देवी हैं. सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती. शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है. किसी छोटे कार्य के लिए 10000 तथा असाध्य से लगाने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. 36 अक्षर का बगलामुखी महामंत्र इस प्रकार है- 
 "ॐ ल्ह्रिम बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिं विनाशय ल्ह्रिमॐ स्वाहा" 
           यह सभी जप हल्दी की माला पर करना चाहिए और पूजा में पुष्प, नैवेद्य आदि भी पीले होने चाहिए.साधक पीले वस्त्र पहन कर पीले आसन पर बैठ कर मंत्र जाप करे. प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक है नलखेड़ा में। 
         भारत में माँ बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। 
           तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। मध्यप्रदेश में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापर युगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधि‍ष्ठिर ने की थी। 
        मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से पूजा-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। यहाँ के अन्य पंडित गोपालजी पंडा, मनोहरलाल पंडा आदि ने बताया कि यह मंदिर श्मशान क्षेत्र में स्थित है। बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। 
          यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी। इस मंदिर में बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित हैं। इसके आसपास सुंदर और हरा-भरा बगीचा देखते ही बनता है। नवरात्रि में यहाँ पर भक्तों का हुजूम लगा रहता है। मंदिर श्मशान क्षेत्र में होने के कारण वर्षभर यहाँ पर कम ही लोग आते हैं। कैसे पहुँचें:- वायु मार्ग: नलखेड़ा के बगलामुखी मंदिर स्थल के सबसे निकटतम इंदौर का एयरपोर्ट है। रेल मार्ग: ट्रेन द्वारा इंदौर से 30 किमी पर स्थित देवास या लगभग 60 किमी मक्सी पहुँचकर भी शाजापुर जिले के गाँव नलखेड़ा पहुँच सकते हैं। सड़क मार्ग: इंदौर से लगभग 165 किमी की दूरी पर स्थित नलखेड़ा पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
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 यह हें माँ बगलामुखी मंत्र —- 
 श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
 श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। 
स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:। 
            इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए…. ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा। 
      अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार….. 
 सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्। 
  सामान्य बगलामुखी मंत्र —– 
 ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा। 
             माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.
 जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—– 
 ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम: इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —- 
1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है। 
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है। 
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है। 
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है। 
 1) भय नाशक मंत्र—– अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए… ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें… पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें… दक्षिण दिशा की और मुख रखें…. 
 2) शत्रु नाशक मंत्र—- अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें…. मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये …. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें…. 
 3) जादू टोना नाशक मंत्र—- यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…. ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं…. कपूर से देवी की आरती करें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे…. 
 4) प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र—– आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें…. ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा: बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं… देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें… रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें…
 5) बच्चों की रक्षा का मंत्र—- यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. . ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें… दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें… रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…. मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें… 
 6) लम्बी आयु का मंत्र—- यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए… ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा: पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें… मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये… प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें…. रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें… 
 7) बल प्रदाता मंत्र—- यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए… 
 ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है…           पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए… पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें…. रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें… 
 8) सुरक्षा कवच का मंत्र—- प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता …. ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें.. छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें… 
          रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें… मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें… ये स्तम्भन की देवी भी हैं। कहा जाता है कि सारे ब्रह्मांड की शक्ति मिलकर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। शत्रु नाश, वाक सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए देवी बगलामुखी की उपासना की जाती है। 
            बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र —- 
 ‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’ का जप, हल्दी की माला पर करना चाहिए। 

 केसे करें मां बगलामुखी पूजन…?? 
            माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें. इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है 
मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें. 
इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें- 
       साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें- ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये। इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। 
       नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें- 
गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया। देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।।
 धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता। गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।। 
         इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें- नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्। भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।। 
           आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें- 
 गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं। 
 पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं। 
 धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं। 
 दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं। 
 नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। 
      अब इस प्रकार प्रार्थना करें- जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्। गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।। 
 अब क्षमा प्रार्थना करें- आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।। मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।। 
 अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें- गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।। 
 अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।। 
अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ: 
एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा। ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्। 
 षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा। अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें। 

 जानिए माँ बगलामुखी की कथा—-
 देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए. इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं. 
       भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ. उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं. 
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रविवार को मां बगलामुखी जयंती है। इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें- 
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें- 
ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य......(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ......(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये। इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। 
नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें- 
गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया। देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।। धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता। गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।। इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें। 
तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें- 
नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्। भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।। आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें- 
गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं। 
पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं। 
धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं। 
दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं। 
नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
 अब इस प्रकार प्रार्थना करें- जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्। गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।। अब क्षमा प्रार्थना करें- आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।। मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।। 
अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें- गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।। 
अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।। 
अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ: 
एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा। ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्। 
षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा। अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें। 
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माँ बगाल्मुखी साधना इन बातों का रखें विशेष ध्यान/सावधानियां— 
 पंडित "विशाल' दयानंद शास्त्री के अनुसार बगलामुखी आराधना में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। साधना में पीत वस्त्र धारण करना चाहिए एवं पीत वस्त्र का ही आसन लेना चाहिए। आराधना में पूजा की सभी वस्तुएं पीले रंग की होनी चाहिए। आराधना खुले आकश के नीचे नहीं करनी चाहिए। आराधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा साधना क्रम में स्त्री स्पर्श, चर्चा और संसर्ग कतई नहीं करना चाहिए। साधना डरपोक किस्म के लोगों को नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी देवी अपने साधक की परीक्षा भी लेती हैं। साधना काल में भयानक अवाजें या आभास हो सकते हैं, इससे धबराना नहीं चाहिए और अपनी साधना जारी रखनी चाहिए। साधना गुरु की आज्ञा लेकर ही करनी चाहिए और शुरू करने से पहले गुरु का ध्यान और पूजन अवश्य करना चाहिए। बगलामुखी के भैरव मृत्युंजय हैं, इसलिए साधना के पूर्व महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जप अवश्य करना चाहिए। 
        साधना उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए। मंत्र का जप हल्दी की माला से करना चाहिए। जप के पश्चात् माला अपने गले में धारण करें। साधना रात्रि में 9 बजे से 12 बजे के बीच प्रारंभ करनी चाहिए। मंत्र के जप की संखया निर्धारित होनी चाहिए और रोज उसी संखया से जप करना चाहिए। यह संखया साधक को स्वयं तय करना चाहिए। साधना गुप्त रूप से होनी चाहिए। साधना काल में दीप अवश्य जलाया जाना चाहिए। जो जातक इस बगलामुखी साधना को पूर्ण कर लेता है, वह अजेय हो जाता है, उसके शत्रु उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते।
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