
मकर राशि में प्रवेश के साथ ही दान पूण्य का महत्त्व भी एक दिन आगे बढ़ जाएगा। इससे 15 जनवरी 2016, शुक्रवार को दान-पुण्य के साथ ही संक्रांति की धूम रहेगी।
हम सभी जानते हैं की भारतवर्ष में मकर संक्रांति / पोंगल आमतौर पर 14 जनवरी को मनाई जाती है। वहीं पिछले साल 2015 से यह 15 जनवरी से मनाया जा रहा है । हालांकि पिछले साल यह पूर्ण रूप से 15 जनवरी को नहीं पड़ा था। लिहाजा 14 जनवरी को भी संक्रांति मनाई गई थी । इसके साथ ही इस तिथि से दिन भी बड़े होने लगेंगे ।
सूर्य की वजह से संक्रांति एक दिन आगे चली जाती है । इसके साथ 2017 सहित बीच के कुछ वर्षों में सूर्य की गति प्रभावित होगी । इससे 14 जनवरी को संक्रांति का रहेगा ।इसके बाद से 15 जनवरी को पूरी तरह से संक्रांति रहेगी।
पण्डित दयानंद शास्त्री ने बताया कि संक्रांति का दान आदि पुण्य फल देने वाला होता है । इसी दिन पवित्र गंगा मय्या ने कपिल मुनि के आश्रम में प्रवेश कर राजा सगर के पुत्रों को मुक्ति दिलाई थी ।। प्रचलित दंत कथानुसार महाभारत युद्ध के दौरान ही भीष्म पितामह ने भी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही अपने प्राणों का परित्याग किया था।
*****पवित्र नदियों और सरोवरों में होगा पवित्र स्नान----
सूर्य के धनु राशि से मकर में प्रवेश करते ही सरोवरों में स्नान दान का भी महत्व है । मान्यता है कि संक्रांति के दिन पवित्र सरोवर में स्नान करने से पुण्य फल की वृद्घि होती है। पुष्कर का ब्रह्म सरोवर हो या कुरुक्षेत्र का कुण्ड अथवा कोई अन्य पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा या शिप्रा अथवा चम्बल-- चंद्रभागा आदि में ।। इसी धारणा की वजह से संक्रांति के समय में बड़ी संख्या में श्रद्घालु आस्था के साथ विभिन्न सरोवर और पवित्र जलाशयों में डूबकी लगाएंगे।
****दान-पुण्य का है महत्व----
Edited by: Editor
1 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया जानकारी ..
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं!
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